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छावा फिल्म पर विवाद: गणोजी-कान्होजी शिर्के के वंशजों ने 100 करोड़ के मानहानि का दावा किया, डायरेक्टर ने मांगी माफी

छावा फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर जलवा, लेकिन विवादों में घिरी

विक्की कौशल अभिनीत फिल्म ‘छावा‘ ने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा दी है। फिल्म ने महज 10 दिनों में ही 326 करोड़ रुपये से अधिक का कलेक्शन कर लिया है। यह फिल्म छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है और इसे देशभर में खासकर महाराष्ट्र में भारी पसंद किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस फिल्म की तारीफ की है। लेकिन, इसी बीच फिल्म एक नए विवाद में उलझ गई है।

गणोजी-कान्होजी शिर्के के वंशजों ने उठाए सवाल

फिल्म में दिखाया गया है कि गणोजी और कान्होजी शिर्के ने छत्रपति संभाजी महाराज को धोखा दिया था, जिसके कारण वह औरंगजेब के हाथों पकड़े गए। इस पर गणोजी और कान्होजी शिर्के के वंशजों ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि फिल्म में उनके पूर्वजों को गलत तरीके से दिखाया गया है, जो भ्रामक और झूठा है।

शिर्के परिवार के 13वें वंशज लक्ष्मीकांत राजे शिर्के ने दावा किया कि फिल्म में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे परिवार की विरासत को नुकसान पहुंचा है और उन्होंने फिल्म निर्माताओं के खिलाफ 100 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी है।

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डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर ने मांगी माफी

इस विवाद के बाद फिल्म के डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर ने शिर्के परिवार से माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। उतेकर ने बताया कि फिल्म में गणोजी और कान्होजी के अंतिम नाम या उनके गांव का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फिल्म में दिखाए गए किरदारों का वास्तविक इतिहास से कोई सीधा संबंध नहीं है।

लक्ष्मण उतेकर ने शिर्के परिवार के सदस्य भूषण शिर्के से बात करके माफी मांगी और कहा, “हमने छावा में सिर्फ गणोजी और कान्होजी के नाम का उल्लेख किया है, उनके उपनाम का जिक्र नहीं किया है। यदि फिर भी फिल्म की वजह से कोई असुविधा हुई है तो मैं ईमानदारी से माफी मांगता हूं।”

गणोजी और कान्होजी शिर्के कौन थे?

गणोजी और कान्होजी शिर्के, छत्रपति संभाजी महाराज की पत्नी महारानी येसूबाई के भाई थे। साथ ही, संभाजी महाराज की बहन राजकुंवरबाई साहेब की शादी गणोजी शिर्के से हुई थी। इस तरह, गणोजी शिर्के संभाजी महाराज के बहनोई भी थे। दोनों भाइयों के पिता पिलाजी शिर्के मुगलों के सरदार थे और दाभोल पर उनका शासन था।

छत्रपति शिवाजी महाराज के निधन के बाद, उनके बेटे संभाजी महाराज ने दाभोल को अपने कब्जे में ले लिया। कहा जाता है कि इसके बाद गणोजी और कान्होजी शिर्के ने मुगल सेना के सरदार मकरब खान से मिलकर संभाजी महाराज के खिलाफ षड्यंत्र रचा। मकरब खान ने उन्हें दक्षिण का आधा राज्य देने का लालच दिया था, जिसके बाद उन्होंने संभाजी महाराज को पकड़वाने में मदद की।

फिल्म और इतिहास के बीच का अंतर

फिल्मों में अक्सर इतिहास को ड्रामाई तरीके से पेश किया जाता है, जिससे कई बार वास्तविक तथ्यों से समझौता करना पड़ता है। ‘छावा’ फिल्म में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। हालांकि, डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर ने स्पष्ट किया है कि फिल्म में दिखाए गए किरदारों का वास्तविक इतिहास से कोई सीधा संबंध नहीं है। फिर भी, शिर्के परिवार के वंशजों ने इस पर आपत्ति जताई है और मानहानि का मुकदमा दायर करने की धमकी दी है।

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