“Crazxy Movie Review in Hindi: सोहम शाह की हिम्मत और गिरीश कोहली के डायरेक्शन वाली इस फिल्म ने सिनेमा की नई परिभाषा लिखी है। जानिए क्यों यह फिल्म OTT पर मिस नहीं करनी चाहिए!”
सोहम शाह का जादू एक बार फिर!
‘तुम्बाड’ जैसी कालजयी फिल्म बनाकर सिनेमाई दुनिया में तहलका मचाने वाले सोहम शाह एक बार फिर अपनी नई फिल्म ‘क्रेजी’ के साथ धूम मचा रहे हैं। यह फिल्म न सिर्फ एक थ्रिलर है, बल्कि इंसानी रिश्तों, अंदरूनी संघर्षों और सामाजिक पूर्वाग्रहों को बेबाकी से दिखाती है। अगर आपको लगता है कि आपने हिंदी सिनेमा में सबकुछ देख लिया है, तो ‘क्रेजी’ आपको गलत साबित कर देगी।
एक पिता का अंधेरा सफर
फिल्म की कहानी डॉ. अभिमन्यु सूद (सोहम शाह) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक प्रतिष्ठित अस्पताल का मशहूर डॉक्टर है, लेकिन अपनी ड्रग्स की लत और घमंडी स्वभाव के कारण जिंदगी से हार चुका है। उसकी जिंदगी तब और उलझ जाती है जब उसे 5 करोड़ रुपये का भुगतान करना होता है। यही पैसा लेकर वह अपनी गाड़ी में सफर शुरू करता है, लेकिन यह सफर उसकी जिंदगी का सबसे दर्दनाक और रहस्यमयी सफर साबित होता है।
रास्ते में उसे अपने बॉस, एक्स-वाइफ, गर्लफ्रेंड और एक किडनैपर के फोन कॉल्स का सामना करना पड़ता है। किडनैपर ने उसकी 16 साल की बेटी को अगवा कर लिया है, जिसे अभिमन्यु ने डाउन सिंड्रोम होने की वजह से जन्म से पहले ही नकार दिया था। अब वही बेटी उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा सवाल बन जाती है।
सोहम शाह का शानदार अभिनय: एकल प्रदर्शन की मिसाल
‘क्रेजी’ पूरी तरह से सोहम शाह का वन-मैन शो है। वह अपने किरदार अभिमन्यु के माध्यम से दर्शकों को एक ऐसी भावनात्मक यात्रा पर ले जाते हैं, जहां गुस्सा, पछतावा, डर और प्यार एक साथ टकराते हैं। उनकी आवाज़ का अंदाज़, चेहरे के भाव और बॉडी लैंग्वेज ने किरदार को जीवंत कर दिया है। खासकर जब वह अपनी बेटी के साथ अपने रिश्ते को लेकर संघर्ष करता है, तो सोहम का अभिनय दिल दहला देता है।
निर्देशन और पटकथा: गिरीश कोहली की बुलंदियाँ
गिरीश कोहली की डायरेक्शन और स्क्रीनप्ले फिल्म की असली ताकत है। 93 मिनट की इस फिल्म में एक पल भी बोरिंग नहीं लगता। कोहली ने कहानी को इस तरह बुना है कि दर्शक हर दृश्य में अभिमन्यु के साथ जुड़ा रहता है। हालांकि, कुछ जगहों पर कहानी में अतार्किक मोड़ आते हैं (जैसे किडनैपर का मकसद साफ नहीं दिखाया गया), लेकिन फिल्म का पेस इतना तेज है कि ये खामियाँ नजरअंदाज हो जाती हैं।
पृष्ठभूमि संगीत और तकनीकी पहलू: माहौल बनाने में सफल
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर और साउंड डिज़ाइन इसकी रहस्यमयी भावना को और गहरा करता है। गाड़ी के अंदर के दृश्यों में कैमरा एंगल्स और लाइटिंग ने क्लॉस्ट्रोफोबिक महसूस कराया है, जो अभिमन्यु के मानसिक तनाव को दर्शाता है। गाने कम हैं, लेकिन जो हैं वे सीन्स के साथ पर्फेक्ट बैठते हैं।
फिल्म की खामियाँ: क्लाइमेक्स में कन्फ्यूजन
फिल्म का अंत कुछ दर्शकों को अधूरा या भ्रमित करने वाला लग सकता है। किडनैपर के चरित्र की गहराई नहीं दिखाई गई, और न ही उसके मकसद को स्पष्ट किया गया। इसके अलावा, कुछ दृश्यों में लॉजिक की कमी महसूस होती है, जैसे अभिमन्यु का इतनी बड़ी रकम एक दिन में जुटा पाना।
निष्कर्ष: OTT पर जरूर देखें यह अनोखी फिल्म
‘क्रेजी’ उन फिल्मों में से है जो आपको सिनेमा के बाद भी सोचने पर मजबूर कर देती है। सोहम शाह के शानदार अभिनय, रोमांचक स्क्रिप्ट और दमदार डायरेक्शन के चलते यह फिल्म थियेटर या OTT पर देखने लायक है। अगर आपको सस्पेंस थ्रिलर और मनोवैज्ञानिक ड्रामा पसंद है, तो यह फिल्म आपके लिए है.
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